भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर पलटवार किया है. जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मल्लिकार्जुन खरगे की लिखी उस चिट्ठी को लेकर निशाना साधा है जिसमें उन्होंने सरकारी अधिकारियों के राजनीतिकरण का आरोप लगाया था. जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा – यदि मोदी सरकार लाभार्थियों तक सभी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करना चाहती है, तो इससे गरीबों के हित को ध्यान में रखने वाले किसी भी व्यक्ति को क्या समस्या हो सकती है?
जेपी नड्डा ने एक्स पर यह भी लिखा कि शायद कांग्रेस पार्टी के लिए यह अलग सोच हो सकती लेकिन सार्वजनिक सेवा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है. मुझे यह देखकर हैरानी होती है कि कांग्रेस पार्टी को योजनाओं की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले लोक सेवकों से दिक्कत है. यदि यह शासन का मूल सिद्धांत नहीं है, तो क्या है? ‘रथ’ के विरोध के संबंध में यह युद्धपोतों को निजी नौकाओं के रूप में उपयोग करने के विपरीत सार्वजनिक संसाधनों का उपयुक्त उपयोग है.
क्या लिखा था मल्लिकार्जुन खरगे ने?
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने लिखा कि सिविल सेवकों और सेना के जवानों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले खरगे ने एक्स पर लिखा था कि मोदी सरकार की सभी एजेंसियां, संस्थान, विंग और विभाग आधिकारिक तौर पर प्रचारक बन गए हैं. इससे नौकरशाही का राजनीतिकरण बढ़ेगा.
कांग्रेस पार्टी ने इसी के साथ सरकारी आदेश का हवाला देते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को रथ प्रभारी के तौर पर देश के 765 जिलों में तैनात किये जाने के आदेश का विरोध किया है.
जिस पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लिखा कि हैरान करने वाली बात ये है कि कांग्रेस की रुचि गरीबों को गरीब बनाये रखने में है. इसलिए वे इस अभियान का विरोध कर रहे हैं.
बीजेपी ने कांग्रेस पर किया पलटवार
मल्लिकार्जुन खरगे की चिट्ठी और कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं के विरोध को देखते हुए बीजेपी के अन्य नेताओं ने भी कड़ा एतराज जताया है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी गरीबों तक सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को नहीं पहुंचने देना चाहती. बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी पर पलटवार किया कि किसने कहा कि नौकरशाहों को सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में बात करने का अधिकार नहीं है.